Friday, December 23, 2011

शानदार तमाचा मिलेगा (हास्य कविता )


दुबले पतले हँसमुखजी
कई बीमारियों से ग्रसित थे
फिर भी कुछ ना कुछ
खाने के लिए मचलते रहते
भारी भरकम पत्नी से बोले
मुझे खाने को आइसक्रीम दे दो
पत्नी बोली
आपका गला खराब है
कुछ और खालो 
हँसमुखजी मन मसोस कर बोले
कुछ मीठा ही दे दो
पत्नी गुर्राई
ड़ाईबीटीस के मरीज हो
कुछ तो ख्याल करो
चिढ़ते हुए हँसमुखजी बोले
तो फिर नमकीन ही दे दो
बीबी झल्लाई ,
नमक ब्लड प्रेशर के लिए
ठीक नहीं होता
परेशान हँसमुखजी तंग आ गये
गुस्से में बोले
 तो फिर अंडा ही दे दो
पत्नी पलट कर
ज्यादा गुस्से में बोली
 संभव नहीं है
आज पूर्णमासी है
अंडा नहीं खाओगे
हैरान परेशान हँसमुखजी
जोर से चिल्लाये
हर बात में अपनी चलाती हो
पानी तो पिलाओगी
बीबी भी फुफकारी
चुप भी रहोगे या
कुछ ना कुछ मांगते रहोगे
इतना दिमाग तो खा लिया
 अब कुछ नहीं मिलेगा
अब और कुछ माँगा तो 
तो शानदार तमाचा
मिलेगा
पांच सात दिन खाने का
मन भी नहीं करेगा
अब जाओ
चुपचाप गम खाओ
चद्दर ओढ़ कर सो जाओ
रूआसे हँसमुखजी के पास
सिवाय
गम खाने और सोने के
कोई चारा नहीं था
23-12-2011
1884-52-12

Tuesday, December 20, 2011

हँसमुखजी की बन्दर से नौक झोंक (हास्य कविता)


हँसमुखजी को
मूंगफली और अमरुद बहुत
पसंद थे
सर्दी के दिन थे
अमरुद ,मूंगफली खाने
धूप सेकने बालकनी में
बैठे ही थे 
सामने पेड़ पर बैठे बन्दर ने
देख लिया
उसका भी मन
अमरुद ,मूंगफली खाने के लिए
मचलने लगा
फ़ौरन उछल कर बालकनी में
आ धमका
हँसमुखजी से अमरुद मूंगफली
मांगने लगा
हँसमुखजी ने उसे दुत्कार कर
भगा दिया
बन्दर को क्रोध आया 
मौक़ा ताड़ कर
मूंगफली की थैली लेकर
भाग कर पेड़ पर चढ़ कर
हँसमुखजी को
किलकारियों से चिढाने लगा
हँसमुखजी से
बन्दर का दुस्साहस बर्दाश्त
नहीं हुआ
गुस्से में ,मारने के लिए
अमरुद उठा कर बन्दर पर
फैंक दिया
बन्दर ने अमरुद कैच कर लिया
फिर हँसते हुए कहने लगा
हँसमुखजी
अमरुद तो पहले भी ले
सकता था ,
पर एक हाथ में अमरुद
दूसरे में मूंगफली की थैली लेकर
पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था
मुझे पता है
आप को छेड़ने से
आप पूरी तरह छिढ़ जाओगे
बिना सोचे समझे अमरुद भी
फैंक दोगे
अब मैं अमरुद मूंगफली
खाऊंगा
आप को चिढाऊंगा
आप देखते रहना
आइन्दा से
अकेले मज़े मत 
उड़ाया करो
मिल बाँट कर 
खाया करो
20-12-2011
1873-41-12

Monday, December 19, 2011

चलो अच्छा हुआ ,कल होता आज हो गया (हास्य कविता)


हँसमुखजी का
तकिया कलाम था
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
हर बात में
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
कहना उन्हें कई बार
आफत में डालता
दोस्त से चार दिन तक
नहीं मिलने का कारण पूछा
दोस्त बोला पत्नी को
बिच्छू ने काट लिया था
हँसमुखजी बोले
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
दोस्त को बुरा लगा
दोस्त
फिर पांच दिनों बाद मिला
उन्होंने फिर कारण पूछा
दोस्त बोला बच्चे का
एक्सीडेंट हो गया था
हँसमुखजी बोले ,
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
दोस्त को क्रोध आया
पर चुप रहा
अगली बार दोस्त
पंद्रह दिन बाद मिला
उन्होंने फिर कारण पूछा
दोस्त ने जवाब दिया
पिताजी गुजर गए थे
हँसमुखजी बोले
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
इस बार दोस्त
बर्दाश्त नहीं कर सका
क्रोध में
हँसमुखजी के गाल पर
चमाट जमा दिया
हँसमुखजी
बिलबिलाते हुए बोले
थप्पड़ क्यों मारा ?
दोस्त बोला
चलो अच्छा हुआ ,
कल होता आज हो गया
अब हँसमुखजी ने पुराना
तकिया कलाम छोड़ दिया
नया शुरू कर दिया
आज कल
हर बात पर कहते हैं
जो हुआ बहुत बुरा हुआ
पूरी उम्मीद है
इसका भी नतीजा उन्हें
एक दिन भुगतना पडेगा
जब होना होगा हो
जाएगा
19-12-2011
1871-39-12

Friday, December 16, 2011

हँसमुख जी का फैसला (हास्य कविता)


मोहल्ले में रामू श्यामू को
को लड़ते देख
हँसमुखजी से रहा ना गया
फ़ौरन बीच
बचाव करने के लिए
पहुँच गए
झगडे का कारण पूछने लगे
रामू बोला
श्यामू ने मुझे नेता कहा
श्यामू बोला
हँसमुखजी रामू ने
पैसे उधार लेकर लौटाए नहीं
कहता है जब होंगे तो दे दूंगा ,
अपने वादे से मुकर गया
आप ही फैसला करो
अगर इसे नेता कहा
तो क्या गुनाह किया
हँसमुखजी ने सोचा फिर बोले
क्योंकी रामू
धूर्त.मक्कार भ्रष्ट और दोहरे
चरित्र का नहीं है 
इसलिए इसे नेता कहना
उचित नहीं है
तुमसे पैसे उधार लिए
इमानदारी से मान रहा है
अभी होंगे नहीं
इसलिए लौटा नहीं
पा रहा है
16-12-2011
1867-35-12

Tuesday, December 13, 2011

हँसमुखजी बोले नेताओं से अच्छा हूँ (हास्य कविता)


हँसमुखजी
अनशन पर बैठे
तीन घंटे में पेट के चूहे
उछल कूद मचाने लगे
हँसमुखजी उनसे बोले
दो दिन तो सब्र करो
मेरी तरह अनशन करो
पेट के चूहे बोले
पहले खूब खाते हो
आदत बिगाड़ते हो
फिर भूखे मारते हो
हँसमुखजी बोले
नेताओं से अच्छा हूँ
लुभावनी बातों से
तुम्हारा  पेट नहीं
भरता हूँ
मेहनत करता हूँ
खुद खाता हूँ
तुम्हें भी खिलाता हूँ
खुल कर डकार लेता हूँ
नेता बिना काम करे
निरंतर हज़ारों का
अकेले ही खाते हैं
जनता के खाने पर
डाका डालते हैं
फिर भी डकार नहीं
लेते हैं
13-12-2011
1858-26-12

Sunday, December 11, 2011

जायदाद का आधा मुझे दे दो, नहीं तो हाथ पैर तुडवा लो(हास्य कविता)


पत्नी ने पती को
सोते से उठाया
पती क्रोध से
आग बबूला हो कर
दहाड़ा 
कैसी जाहिल पत्नी हो
मेरा सुन्दर सपना
तोड़ दिया 
एक अप्सरा के संग
घूम रहा था
हसरतों का मंज़र
अधूरा रह गया
पत्नी ने धारा चंडी
का रूप
भभक कर बोली
क्या समझते हो तुम?
निरंतर सताते हो तुम
तुम्हारा
सपना टूट गया होगा
मेरा तो पूरा हो गया
पुराना प्रेमी लौट आया
साथ में तलाक के
कागज़ और चार गुंडों को
भी लाया
या तो कागजों पर
दस्तखत कर दो
जायदाद का आधा
मुझे दे दो
नहीं तो हाथ पैर
तुडवा लो
दहेज़ का मुकदमा भी
भुगत लो
सुन पत्नी की बात,
पति खुशी से उछलने लगा  
फ़ौरन बोला
तुमसे पीछा छुडाने का
मौक़ा अच्छा है
आधी जायदाद और मुक्ति ?
सौदा सस्ता है.
11-12-2011
1853-21-12

Thursday, December 8, 2011

हँसमुखजी का निशाना (हास्य कविता)


हँसमुखजी पोते के साथ
क्रिकेट खेल रहे थे
गेंदबाजी कर रहे थे
गेंद कभी विकेट के
तीन फीट दायें
कभी तीन फीट बायें से
निकल रही थी
पोता परेशान हो गया
कहने लगा
दादाजी आप झूठ
बोलते हैं
एक भी गेंद विकेट पर
सीधे ड़ाल नहीं सकते
लेकिन डींग हांकते हो
आपने जवानी में कई शेर
सटीक निशाने से मारे
हँसमुखजी बोले
तुम आधा गलत
आधा ठीक कहते हो
शेर तो मैंने ही मारे
पर निशाना तब भी
ऐसा ही था
डर नहीं लगे इसलिए
शिकार पर जाने से पहले
जम कर शराब पीता था
नशे में
शेर होता कहीं और था
दिखता कहीं और था
दिखता तीन फीट बायें
होता तीन फीट दायें
शेर को निशाना लगाता
गोली सीधी शेर को
जाकर लगती
तीन फीट का हिसाब
अभी भी चल रहा है
पीना छोड़ दिया है
इसलिए
लाख कोशिशों के
 बाद भी
गेंद विकेट पर नहीं
 लगती
07-12-2011
1846-14-12

Wednesday, December 7, 2011

हँसमुखजी ने प्रेमपत्र लिखा (हास्य कविता)


हँसमुखजी का
हाथ हिंदी में तंग था
फिर भी प्रेमिका को
हिंदी में प्रेम पत्र लिख दिया
तुम मेरी दिल लगी  हो
स्वर्गवासी अप्सरा सी
लगती हो
तुम्हारे लिए चाँद तारे
तोड़ कर ला सकता हूँ
कोई नज़रें उठा कर
तुमको देखे ले तो
यमराज की तरह
जान भी ले सकता हूँ
प्रेमिका ने भी प्रेमपत्र का
जवाब प्रेम से दिया
ओ मेरे दिल के चौकीदार
मुझे पाना है तो
तुम्हें भी स्वर्गवासी होना
पडेगा
चाँद तारों को तोड़ने से
पहले
उन्हें छोटा कर पेड़ पर
लटकाना होगा
किसी की जान लेने से पहले
यमराज सा दिखना होगा
विवाह के लिए
भैंसे पर बैठ कर आना
पडेगा
अगला प्रेम पत्र लिखो
उसके पहले हिंदी को
सुधारना होगा
07-12-2011
1845-13-12