Tuesday, April 17, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-निरंतर फक्कड़ रहा हूँ , फक्कड़ ही रह ल...

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-निरंतर फक्कड़ रहा हूँ , फक्कड़ ही रह ल...: चार मकान , चार गाडी खरीद लूं देश विदेश की सैर कर लूं कुछ सोना , चांदी खरीद लूं धनवानों में गिनती होगी आगे पीछे भीड़ होगी मेरी भी पूछ होगी छा...

Friday, April 13, 2012

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता- कितना खुशगवार था वो लम्हा

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता- कितना खुशगवार था वो लम्हा: कितना खुशगवार था वो लम्हा जब उसने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा   करीब आकर मेरा पता पूछा दिल खुश हुआ जब रंग बिरंगे कागज़ में लिपटा एक तोहफा हा...

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता-सर्द रात में उल्लू बोला

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता-सर्द रात में उल्लू बोला: हँसमुखजी ने कविता पाठ करना प्रारम्भ किया सर्द रात में उल्लू बोला एक मनचले श्रोता ने आवाज़ लगाई आज गर्मी की शाम को मंच से बोल रहा है हँसमुख...

Sunday, April 8, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे: हंसमुख जी दन्त चिकित्सक थे दांतों का इलाज करते थे पहले मुंह खुलवाते थे फिर बात करते थे एक दिन दर्द से पीड...

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता,-बगैर जूते खाए,साबुत घर लौट आए हो

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता,-बगैर जूते खाए,साबुत घर लौट आए हो: पचास की उम्र थी कपड़ों पर इत्र बालों में खिजाब लगा कर हाथ में गुलाब का फूल आँखों पे नज़र का मोटा चश्मा लगाए बन ठन कर , मुस्काराते हुए बहुत उम्...