Wednesday, April 10, 2013

हास्य कविता -हँसमुखजी -पीछा छूटने की ख़ुशी में



हँसमुखजी  खुद को
धुरंधर हास्य कवि समझते थे
अफ़सोस मगर उनकी रचनाओं पर
खुद अधिक लोग कम हँसते थे
एक बार कविता पाठ के अंत में
 उन्होंने थके पिटे मुंह लटकाए
श्रोताओं से भावुकता में कह दिया
कविता पाठ समाप्त होने के बाद
आपकी ज़ोरदार तालियों ने
मुझे भाव विव्हल कर दिया
अगली बार मैं आपको
अधिक कवितायें सुनाऊंगा
बाल नोचते हुए एक श्रोता
पूरी ताकत से चिल्लाया
कवि महोदय लोग आपको नहीं
दूसरे कवियों को सुनने आते हैं
आपसे पीछा छूटने की ख़ुशी में
ज़ोरदार तालियाँ बजाते हैं
आपकी दो चार कवितायें भी
बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं
सुनते सुनते हँसने की जगह
रोने लगते हैं 
ज्यादा कवितायें सुनाओगे
तो दो चार लोग दुःख में
आत्म ह्त्या कर लेंगे
आप हास्य कवि के स्थान पर
मातमी कवि कहलाओगे
17-73-09-02-2013
हँसमुखजी , हास्य,व्यंग्य,हास्य कविता ,हँसी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

Wednesday, April 3, 2013

हास्य कविता-हास्य कवी हँसमुखजी



हँसमुखजी अपने को
हास्य कवी समझते थे
घमंड में जीते थे
लोग कविताओं पर कम
उनकी शक्ल सूरत पर
अधिक हँसते थे
लोगों को हँसते देख
हँसमुखजी घमंड की
एक सीढ़ी और चढ़ जाते थे
लोगों भी ज्यादा
 ठहाके लगाने लगते थे
एक दिन उनके सर पर
घड़ों पानी पड़ गया
जब उनकी कविताओं से
पीडित
एक श्रोता से रहा नहीं गया
उनसे कह दिया
हँसमुखजी आपकी
कवितायें  बहुत मार्मिक होती हैं
अगर आपकी शक्ल सूरत
अजीब नहीं होती
तो किसी को बाल भर भी
हँसी नहीं आती
रोते रोते जान ही निकल जाती
कवितायें हकीकत बन जाती
07-63-03-02-2013
हास्य ,हास्य कविता,हँसी,हास्य व्यंग्य
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर