Sunday, November 20, 2011

हँसमुखजी का ज्योतिष प्रेम (हास्य कविता)


हँसमुखजी
ज्योतिष के बारे में
कुछ नहीं जानते थे
पहली बार
ज्योतिषी के पास 
जन्म पत्री दिखाने गए
जन्मपत्री देखते ही
ज्योतिषी बोला
आपकी मंगल बहुत भारी है
कन्या के घर में नीच का
बुद्ध बैठा है
चंद्रमा आठवे घर में
सूर्य के साथ है
शनी उच्च का
सातवे घर में अच्छा है
हँसमुखजी बौखलाए
अपने को रोक नहीं सके
फ़ौरन बोले सब बकवास है
मंगल मेरा बेटा है
खिला खिला कर 
परेशान हो गए
वज़न बढ़ने का
नाम ही नहीं लेता
भारी कैसे हो गया
कन्या के पती का नाम
श्याम है
नीच बुद्ध राम वहाँ क्या
कर रहा है
मुझे बेवकूफ समझते हो
आठवे घर में शर्माजी
रहते हैं
सूर्य ,चंद्रमा आकाश में
रहते हैं
सूर्य दिन को निकलता है
चंद्रमा रात को 
पड़ोसी का नाम शनिशचर है
एक नंबर का पाजी है
वो उच्च का कैसे हो गया
तुम खाली पीली नाटक
कर रहे हो
निरंतर बेवकूफ बना रहे हो
कहते कहते
ज्योतिषी पर टूट पड़े
क्रोध के राहु केतु ने 
ज्योतिषी के 
हाथ पैर तोड़ कर उसका 
वर्तमान और भविष्य
दोनों खराब कर दिए
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
हास्य कविता, हँसमुखजी,ज्योतिष,ज्योतिषी 

20-11-2011
1804-75-11-11

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