Saturday, October 15, 2011

आज करवा चौथ हैं (हास्य कविता )


आज करवा चौथ हैं
तुम्हारी
लम्बी आयु के लिए
मेरा व्रत है
पत्नी ने पती को सवेरे ही
हुक्म सुना दिया
आज तुम्हें घर पर ही
रहना है
मेरे लिए हर घंटे चाय
खुद का खाना खुद
बनाना है
घर की सफायी तो
करनी ही है
पूजा का सामान भी
लाना है
पती सुनता रहा
फिर डरते डरते बोला
आज ज़रूरी काम है
कुछ घंटों के लिए दफ्तर
जाना है
पत्नी बिफर गयी
चिल्ला कर बोली
खबरदार जो जुबान खोली
ज़िंदा रहना है तो घर में
रहना पडेगा
निरंतर मेरा कहना
मानना होगा
सर दुखे तो दबाना होगा
कल से मेरा भी खाना
बनाना पडेगा
चपड़ चूँ करी तो थप्पड़
खाना पडेगा
मेरा व्रत तो टूटेगा
माफी नहीं मांगोगे
जब तक तुम्हें भी भूखा
रहना पडेगा 
15-10-2011
1654-62-10-11

No comments:

Post a Comment