पान के शौक़ीन
खाते थे
पांच मिनिट में तीन
पीक से भर कर
मुंह हो जाता गुब्बारा
होठ हो जाते लाल
कर रहे थे बात दोस्त से
ध्यान था कहीं ओर
किस्मत थी खराब
पूरे जोर से मारी
उन्होंने पीक की पिचकारी
बगल से जा रही थी
एक भारी भरकम नारी
पीक पडी उसकी साड़ी पर
महिला गयी भड़क
पहले तो दी गालियाँ
फिर चप्पल लेकर दौड़ी
डरते डरते हँसमुखजी ने
दौड़ लगाई सरपट
पैर पडा केले के छिलके पर
फ़ौरन गए रपट
महिला ने भी दे दना दन
मारी चप्पल पर चप्पल
कर दिया मार मार कर
हाल उनका बेहाल
हाथ जोड़ कर पैर पकड़ कर
माफी माँगी
और छुड़ाई जान
कान पकड़ कर कसम खाई
जीवन भर अब नहीं
खाऊंगा पान
09-01-2012
21-21-01-12
सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
achchi abhivaykti achcha lga .
ReplyDeletebahut khoob :)
ReplyDeletewelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
बहुत खूब .पर भाई साहब -बाण हारे की बाण न जाए ,कुत्ता मूते टांग उठाए .
ReplyDeleteबहुत खूब .पर भाई साहब -बाण हारे की बाण न जाए ,कुत्ता मूते टांग उठाए .
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