Tuesday, January 24, 2012

हँसमुखजी थे थानेदार कड़क (हास्य कविता)


हँसमुखजी थे
थानेदार कड़क
एक जेबकतरे को
पकड़ लिया फ़टाफ़ट
देने लगे हाथ पैर
तोड़ने की धमकी
बता कितनी जेबें 
तूनें अब तक काटी
जेबकतरा भी था उस्ताद
कहने लगा
 मारना मत बड़े भैया
मार से
मुझे डर बहुत लगता
हँसमुखजी थानेदार का
पारा चढ़ गया
झट से जेबकतरे का गला
पकड़ लिया
फुफकारते हुए बोले
मारूंगा बाद में
पहले बता
तूनें भैया कैसे कहा
जेबकतरा मिमियाया
भैया बुरा मत मानना
चोर चोर मौसेरे भाई
हम काटते जेब उसकी
जिसकी
जेब में माल होता
आप किसी को नहीं
छोड़ते
गरीब हो या अमीर
चोर हो या साहूकार
जो भी चुंगुल में फंसता
वो पूरी तरह से कटता
जीवन भर आपकी
सूरत से भी घबराता
अब आप ही बताओ ,
हुए ना भाई भाई
आप बड़े मैं छोटा
24-01-2012
77-77-01-12



2 comments:

  1. मारूंगा बाद में
    पहले बता
    तूनें भैया कैसे कहा.WAAH.

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    1. हा ..हा .हा ..बहुत सही

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