Sunday, April 8, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे: हंसमुख जी दन्त चिकित्सक थे दांतों का इलाज करते थे पहले मुंह खुलवाते थे फिर बात करते थे एक दिन दर्द से पीड...

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