Sunday, February 26, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: भोलापन (हास्य कविता)

"निरंतर" की कलम से.....: भोलापन (हास्य कविता): आग दिलों में लगी हुयी थी निगाहें उनकी भी तिरछी थी निगाहें मेरी भी तिरछी थी ना वो मेरी सूरत ठीक से देख सकी ना मैं उनकी सूरत ठीक से देख सक...

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