Saturday, May 12, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-पत्नी तो पत्नी होती,

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-पत्नी तो पत्नी होती,: पत्नी तो पत्नी होती पती की अर्धांगिनी साले साली की बहन होती शादी से पहले इच्छा बाद में मजबूरी होती पत्नी जब गुस्से में होती पती की हिम्मत ...

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-मैं बाबा बनना चाहता हूँ

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-मैं बाबा बनना चाहता हूँ: मैं बाबा बनना चाहता हूँ नाम के आगे पूज्य,श्री और भगवान् लगाना चाहता हूँ परमात्मा को पाने के नुस्खे बताना चाहता हूँ ऊंचे आसन पर बैठ बात ज़म...

Tuesday, April 17, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-निरंतर फक्कड़ रहा हूँ , फक्कड़ ही रह ल...

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-निरंतर फक्कड़ रहा हूँ , फक्कड़ ही रह ल...: चार मकान , चार गाडी खरीद लूं देश विदेश की सैर कर लूं कुछ सोना , चांदी खरीद लूं धनवानों में गिनती होगी आगे पीछे भीड़ होगी मेरी भी पूछ होगी छा...

Friday, April 13, 2012

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता- कितना खुशगवार था वो लम्हा

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता- कितना खुशगवार था वो लम्हा: कितना खुशगवार था वो लम्हा जब उसने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा   करीब आकर मेरा पता पूछा दिल खुश हुआ जब रंग बिरंगे कागज़ में लिपटा एक तोहफा हा...

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता-सर्द रात में उल्लू बोला

निरंतर कह रहा .......: हास्य कविता-सर्द रात में उल्लू बोला: हँसमुखजी ने कविता पाठ करना प्रारम्भ किया सर्द रात में उल्लू बोला एक मनचले श्रोता ने आवाज़ लगाई आज गर्मी की शाम को मंच से बोल रहा है हँसमुख...

Sunday, April 8, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-बात क्या मुंह में, बैठ कर सुनोगे: हंसमुख जी दन्त चिकित्सक थे दांतों का इलाज करते थे पहले मुंह खुलवाते थे फिर बात करते थे एक दिन दर्द से पीड...

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता,-बगैर जूते खाए,साबुत घर लौट आए हो

"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता,-बगैर जूते खाए,साबुत घर लौट आए हो: पचास की उम्र थी कपड़ों पर इत्र बालों में खिजाब लगा कर हाथ में गुलाब का फूल आँखों पे नज़र का मोटा चश्मा लगाए बन ठन कर , मुस्काराते हुए बहुत उम्...

Monday, March 19, 2012

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी ने नए पोज़ में फोटो खिचवाई (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी ने नए पोज़ में फोटो खिचवाई (हास्य कविता): हँसमुखजी पर फोटो खिचवाने का भूत सवार था  दिन भर सपनों में खोये रहते थे किस नए पोज़ में फोटो खिचवाएं निरंतर सोचते रहते थे एक दिन पहुँच गए कि...

निरंतर कह रहा .......: खिली धूप बरसात के बाद-हास्य रचना-(मित्रता समाप्त क...

निरंतर कह रहा .......: खिली धूप बरसात के बाद-हास्य रचना-(मित्रता समाप्त क...: खिली धूप बरसात के बाद मुस्कान आयी होठों पर बरसों की उदासी के बाद दिखा चेहरा तुम्हारा चेहरा खुद का सैकड़ों बार शीशे में देखने के बाद समझते थ...

Sunday, March 18, 2012

निरंतर कह रहा .......: हूर के बगल में वो लंगूर कहलायेंगे (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हूर के बगल में वो लंगूर कहलायेंगे (हास्य कविता): हुस्न के दीवानों से कोई ये भी तो पूछ ले दुनिया की नज़रों से घूरती निगाहों से हुस्न को संभाल कर कैसे रखेंगे ? कैसे उनके नाज़ नखरे उठाएंगे ?...

Tuesday, March 13, 2012

निरंतर कह रहा .......: हमने पूंछा उनसे ,हम कैसा लिखते हैं (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हमने पूंछा उनसे ,हम कैसा लिखते हैं (हास्य कविता): हमने पूंछा उनसे हम कैसा लिखते हैं जो भी लिखते हैं क्या ठीक लिखते हैं वो कहने लगे आप जो भी लिखते हो अच्छा लिखते हो गलती कैसे निकालें आप हमे...

Sunday, March 11, 2012

निरंतर कह रहा .......: बुखार का इलाज कर दो ,जुखाम को भाड़ में जाने दो (हा...

निरंतर कह रहा .......: बुखार का इलाज कर दो ,जुखाम को भाड़ में जाने दो (हा...: जुखाम बुखार से पीड़ित हँसमुखजी सीधे पहुंचे डाक्टर के पास कहने लगे बुखार का इलाज कर दो जुखाम को यूँ ही छोड़ दो डाक्टर चकराया फ़ौरन बोला कारण बता...

Saturday, March 10, 2012

निरंतर कह रहा .......: मित्र बोला हँसमुखजी से खूब मनाई तुमने होली (हास्य ...

निरंतर कह रहा .......: मित्र बोला हँसमुखजी से खूब मनाई तुमने होली (हास्य ...: मित्र बोला हँसमुखजी से खूब मनाई तुमने होली कृष्ण बन कर की भरपूर मस्ती खूब किया नैन मटक्का राधा से चढ़ाई भांग लगाया रंग राधा के राधा भी ना शर...

Thursday, March 8, 2012

निरंतर कह रहा .......: इतना सा बता दो(हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: इतना सा बता दो(हास्य कविता): कैसे हमें देख लें ? ह्रदय की बात सुन लें पत्नी उन्हें बना लें इतना सा बता दो रूठ जाएँ तो कैसे उन्हें मनाएं ? इतना सा बता दो क्रोध में आग ...

निरंतर कह रहा .......: नदी किनारे खडी थी लडकी (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: नदी किनारे खडी थी लडकी (हास्य कविता): नदी किनारे खडी थी लडकी लड़के की नज़र उसपर अटकी पास जा कर बोला , आई लव यू लडकी बोली , बट आई हेट यू लड़का बोला आई ऍम सीरियस लडकी बोली बट यू...

Wednesday, March 7, 2012

निरंतर कह रहा .......: छोडो जाने दो,माफ़ करो (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: छोडो जाने दो,माफ़ करो (हास्य कविता): हँसमुखजी की पत्नी के मुंह पर मधु मक्खी ने काट लिया पत्नी दर्द से बिलबिलाने लगी डाक्टर को दिखाने के लिए कहने लगी हँसमुखजी बोले कुछ दिन ...

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी मुझ से कहने लगे बहुत मुश्किल में फंस गया ...

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी मुझ से कहने लगे बहुत मुश्किल में फंस गया ...: हँसमुखजी मुझ से कहने लगे बहुत मुश्किल में फंस गया हूँ मुझ पर प्यार का रंग चढ़ गया है मैंने कहा रंग को जितना चढाओगे उतना ही चढ़ता जाएगा जितना...

Saturday, March 3, 2012

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी ने खेली होली,मस्ती में खाली भंग की गोली (...

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी ने खेली होली,मस्ती में खाली भंग की गोली (...: हँसमुखजी ने खेली होली मस्ती में खाली भंग की गोली भांग ने दिखाया अपना रंग हँसमुखजी मचाने लगे हुडदंग बीबी को आंटीजी कह दिया साली को...

Wednesday, February 29, 2012

निरंतर कह रहा .......: पता थोड़े ही था जूते एक नंबर छोटे निकलेंगे (हास्य ...

निरंतर कह रहा .......: पता थोड़े ही था जूते एक नंबर छोटे निकलेंगे (हास्य ...: हँसमुखजी पत्नी के साथ मंदिर से निकले पत्नी से बोले चलने में दिक्कत हो रही है जूते काट रहे हैं पत्नी बोली बाज़ार से चप्पल खरीद लो हँसमुखजी ...

Monday, February 27, 2012

निरंतर कह रहा .......: आंटी या अम्माजी (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: आंटी या अम्माजी (हास्य कविता): हमने उन्हें बहन कह दिया वो नाराज़ हो गए कहने लगे बहन नहीं कुछ और कहो हमने समझा हमें चाहने लगे हैं हमने जाने मन कह दिया उन्हो...

Sunday, February 26, 2012

"निरंतर" की कलम से.....: भोलापन (हास्य कविता)

"निरंतर" की कलम से.....: भोलापन (हास्य कविता): आग दिलों में लगी हुयी थी निगाहें उनकी भी तिरछी थी निगाहें मेरी भी तिरछी थी ना वो मेरी सूरत ठीक से देख सकी ना मैं उनकी सूरत ठीक से देख सक...

Saturday, February 25, 2012

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी की कुछ ना कुछ कहने की आदत (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी की कुछ ना कुछ कहने की आदत (हास्य कविता): हँसमुखजी की कुछ ना कुछ कहने की आदत का सामना एक दिन मुझको भी करना पडा मुझ से बोले भाई निरंतर क्या आप निरंतर खाते हैं निरंतर बोलते हैं ,...

Friday, February 24, 2012

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी बचपन से बड़े भोले थे (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी बचपन से बड़े भोले थे (हास्य कविता): हँसमुखजी बचपन से बड़े भोले थे सच बोलने की बीमारी से ग्रसित थे इसे कारण कई बार परेशानी में फंस चुके थे स्कूल में सबसे उत्तम कविता लिखने पर...

Tuesday, February 21, 2012

निरंतर कह रहा .......: थोड़ा सा शर्मीला हूँ (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: थोड़ा सा शर्मीला हूँ (हास्य कविता): तुमने पूँछा किसी से क्या तुमसे मोहब्बत करता हूँ ये बहम नहीं तुम्हारा हकीकत है बंद आँखों से भी तुम्हें देखता हूँ जब निकलती हो घर से बाहर कन...

Monday, February 20, 2012

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी का वक़्त बेवक्त का मज़ाक (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी का वक़्त बेवक्त का मज़ाक (हास्य कविता): हँसमुखजी वक़्त बेवक्त हर किसी का मज़ाक बनाने की आदत के शिकार थे किसी की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते थे मित्र नया सूट पहन कर आया तो कई लोगों क...

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी के कुत्ते ने छुट भैया नेता को काट लिया( ह...

निरंतर कह रहा .......: हँसमुखजी के कुत्ते ने छुट भैया नेता को काट लिया( ह...: हँसमुखजी के कुत्ते ने छुट भैया नेता को काट लिया नेता हँसमुखजी पर गुर्राया कैसा जाहिल कुता है तुम्हारा ? किसी इंसान को नहीं छोड़ता ...

Tuesday, February 14, 2012

निरंतर कह रहा .......: वैलनटाइन डे क्या ख़ाक मनाएंगे

निरंतर कह रहा .......: वैलनटाइन डे क्या ख़ाक मनाएंगे: मेरे मित्रों ने पूछा मुझसे भाई निरंतर वैलनटाइन डे कैसे मनाओगे ? क्या भाभीजी को बगीचे में घुमाओगे नदी किनारे ठंडी हवा खिलाओगे या बाहो...

Tuesday, February 7, 2012

निरंतर कह रहा .......: “पीया नहीं आये” (हास्य कविता)

निरंतर कह रहा .......: “पीया नहीं आये” (हास्य कविता): एक धुरंधर गायिका संगीत के कार्यक्रम में निरंतर दस मिनिट से पूरी ताकत और जोश से “ पीया नहीं आये ” “ पीया नहीं आये ” का अलाप ले र...

Thursday, February 2, 2012

कुछ शरमा गयी,कुछ घबरा गयी (हास्य कविता)

वो खडा था गली
के नुक्कड़ पर
उसको  देखा तो
कुछ शरमा गयी
कुछ घबरा गयी
दिल की धड़कन
बढ़ने लगी
चेहरे पर लाली
छाने लगी
सहमती हुयी बगल से
निकलने लगी
कनखियों से देखा
तो वो नहीं
उसकी सूरत से
मिलती जुलती सूरत
उसके भाई की थी
02-02-2012
97-07-02-12

Tuesday, January 24, 2012

हँसमुखजी थे थानेदार कड़क (हास्य कविता)


हँसमुखजी थे
थानेदार कड़क
एक जेबकतरे को
पकड़ लिया फ़टाफ़ट
देने लगे हाथ पैर
तोड़ने की धमकी
बता कितनी जेबें 
तूनें अब तक काटी
जेबकतरा भी था उस्ताद
कहने लगा
 मारना मत बड़े भैया
मार से
मुझे डर बहुत लगता
हँसमुखजी थानेदार का
पारा चढ़ गया
झट से जेबकतरे का गला
पकड़ लिया
फुफकारते हुए बोले
मारूंगा बाद में
पहले बता
तूनें भैया कैसे कहा
जेबकतरा मिमियाया
भैया बुरा मत मानना
चोर चोर मौसेरे भाई
हम काटते जेब उसकी
जिसकी
जेब में माल होता
आप किसी को नहीं
छोड़ते
गरीब हो या अमीर
चोर हो या साहूकार
जो भी चुंगुल में फंसता
वो पूरी तरह से कटता
जीवन भर आपकी
सूरत से भी घबराता
अब आप ही बताओ ,
हुए ना भाई भाई
आप बड़े मैं छोटा
24-01-2012
77-77-01-12



Monday, January 23, 2012

आई लव यू ,गुड बाई की जगह बहन फिर मिलेंगे बोल बैठे (हास्य कविता)


आज उन्हें
नाराज़ कर बैठे
हाई  हैलो की जगह
नमस्कार कर बैठे
बहुत
खूबसूरत लग रही हो
कहना भूल बैठे
अध् ढके शरीर पर
पहने नए सूट
नयी घड़ी की
तारीफ़ करना भूल बैठे
असली उम्र से
छोटी लग रही हैं
कहने से चूक गए
उनके पसंदीदा
सैंट की महक को
अजीब बदबू आ रही है
कह बैठे
ज़ल्दबाजी में उनके
कद को
सही नाप बैठे ,
उन्हें साढ़े चार फुट का
बता बैठे
और तो और बेवकूफी में
अच्छा सोच रखने की
सलाह दे बैठे
जाते जाते संस्कारों पर
चर्चा कर बैठे
आई लव यू ,
गुड बाई की जगह
बहन फिर मिलेंगे
बोल बैठे
23-01-2012
73-73-01-12

Monday, January 9, 2012

हँसमुखजी थे पान के शौक़ीन (हास्य कविता)


 हँसमुखजी थे
पान के शौक़ीन
खाते थे
पांच मिनिट में तीन
पीक से भर कर
मुंह हो जाता गुब्बारा
होठ हो जाते लाल
कर रहे थे बात दोस्त से
ध्यान था कहीं ओर
किस्मत थी खराब 
पूरे जोर से मारी
उन्होंने पीक की पिचकारी
बगल से जा रही थी
एक भारी भरकम नारी
पीक पडी उसकी साड़ी पर
महिला गयी भड़क
पहले तो दी गालियाँ
फिर चप्पल लेकर दौड़ी
डरते डरते हँसमुखजी ने
दौड़ लगाई सरपट
पैर पडा केले के छिलके पर
फ़ौरन गए रपट
महिला ने भी दे दना दन
मारी चप्पल पर चप्पल
कर दिया मार मार कर
हाल उनका बेहाल
हाथ जोड़ कर पैर पकड़ कर
 माफी माँगी
और छुड़ाई जान
कान पकड़ कर कसम खाई
जीवन भर अब नहीं
खाऊंगा पान
09-01-2012
21-21-01-12


Monday, January 2, 2012

साली बोली हँसमुखजी से(हास्य कविता)


साली बोली हँसमुखजी से
नाम आपका हँसमुख
फिर भी रोते से क्यों लगते?
हँसमुखजी तुनक कर बोले
छोटे मुंह बड़ी बात
नाम बेचारा क्या करेगा
जिसकी
बीबी तुम्हारी बहन हो
वो हंसता हुआ भी
रोता सा लगेगा
साली को लगा झटका
नहले पर मारा दहला
लपक कर बोली
हूर के बगल में लंगूर
हमेशा लंगूर ही रहता
शक्ल-ओ-सूरत का दोष
फिर भी हूर को देता
दहले पर पडा
हँसमुखजी का गुलाम
तपाक से बोले
गलती मेरी ही थी
तुम्हारी बहन के मुख से
बाहर झांकते दांतों को
मुस्काराहट समझ बैठा
शूर्पनखा को हूर समझ
ज़ल्दबाजी में हाँ कह बैठा
उसको तो सहना ही पड़ता
हूबहू अक्ल शक्ल की
साली को भी अब
निरंतर झेलना पड़ता
02-01-2012
03-03-01-12