Saturday, March 23, 2013

हास्य कविता --हँसमुखजी बोले...



हँसमुखजी बोले मित्र से
कल तुम मेरे घर आये थे
मैं तुम्हारे घर गया था
तुम्हें मैं घर पर नहीं मिला
मुझे तुम घर पर नहीं मिले
मित्र बेचैन हो कर बोला
क्यों राई का पहाड़ बना रहे हो
आगे बोलो फिर क्या हुआ
हँसमुखजी बोले सब्र रखो
सुनो तो सही
मेरे घर भी ताला लगा था
तुम्हारे
घर पर भी ताला लगा था
मित्र बोला
क्यों हैरान कर रहे हो
आगे क्या हुआ वो बताओ
हँसमुखजी बोले
आगे क्या होना था
तुम अपने घर लौट गए
मैं अपने घर लौट गया
दोनों की इच्छा पूरी नहीं हुई
मिलना कल चाहते थे
मिलना आज हुआ
43-43-23-01-2013
हास्य,हास्य कविता,हँसमुखजी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर  

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