हँसमुखजी ने
बड़े शौक से गधा पाला
थोड़े दिनों तक तो बहुत
प्यार से रखा
फिर धीरे धीरे उससे
मोह कम हो गया
निरंतर उसे मारने
पीटने लगे
खाने को भी कम देते ,
घर से बाहर निकाल देते
गधा भी ढीठ था
प्रताड़ित होता रहता
भूखा रहता
पर जाने का नाम
ना लेता
पड़ोसी के घोड़े से
देखा ना गया
एक दिन
उसने गधे से कहा
क्यों निरंतर मार
खाते हो ?
यहाँ से कहीं चले
क्यों नहीं जाते ?
गधा बोला मन तो
मेरा भी करता है
यहाँ से चला जाऊं
पर हँसमुखजी दिल के
बहुत अच्छे इंसान हैं
क्रोध तो
अपनी लडकी पर भी
करते हैं
उसे कहते हैं
तेरी शादी किसी गधे से
कर दूंगा
बस किसी दिन ज्यादा
भड़क जाएँ
क्रोध में मुझ से
अपनी लडकी की शादी
करवा दें
इसी इंतज़ार में
जाते जाते रुक
जाता हूँ
बड़े शौक से गधा पाला
थोड़े दिनों तक तो बहुत
प्यार से रखा
फिर धीरे धीरे उससे
मोह कम हो गया
निरंतर उसे मारने
पीटने लगे
खाने को भी कम देते ,
घर से बाहर निकाल देते
गधा भी ढीठ था
प्रताड़ित होता रहता
भूखा रहता
पर जाने का नाम
ना लेता
पड़ोसी के घोड़े से
देखा ना गया
एक दिन
उसने गधे से कहा
क्यों निरंतर मार
खाते हो ?
यहाँ से कहीं चले
क्यों नहीं जाते ?
गधा बोला मन तो
मेरा भी करता है
यहाँ से चला जाऊं
पर हँसमुखजी दिल के
बहुत अच्छे इंसान हैं
क्रोध तो
अपनी लडकी पर भी
करते हैं
उसे कहते हैं
तेरी शादी किसी गधे से
कर दूंगा
बस किसी दिन ज्यादा
भड़क जाएँ
क्रोध में मुझ से
अपनी लडकी की शादी
करवा दें
इसी इंतज़ार में
जाते जाते रुक
जाता हूँ
04-12-2011
1839-07-12
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