Tuesday, December 6, 2011

सिर्फ गधे क्यों रेंक रहे हैं ? (हास्य कविता)



पशु मेले का उदघाटन
करने नेताजी पधारे
उनके आते ही सारे गधे
ढेंचू ढेंचू करने लगे
नेताजी चकरा गए
चमचे से पूछने लगे
बाकी जानवर चुप हैं
सिर्फ गधे क्यों रेंक
रहे हैं ?
चमचे ने अपने ज्ञान का
परिचय दिया
खुशी खुशी बताने लगा
हुज़ूर गधे
बिरादरी का रिवाज़
निभा रहे हैं
कोई भी जाति भाई
दिखता  है
तो स्वागत में निरंतर
रेंक कर अपनत्व का
परिचय देते हैं
खुशी में रेंकते हैं
06-12-2011
1844-12-12

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