Friday, December 16, 2011

हँसमुख जी का फैसला (हास्य कविता)


मोहल्ले में रामू श्यामू को
को लड़ते देख
हँसमुखजी से रहा ना गया
फ़ौरन बीच
बचाव करने के लिए
पहुँच गए
झगडे का कारण पूछने लगे
रामू बोला
श्यामू ने मुझे नेता कहा
श्यामू बोला
हँसमुखजी रामू ने
पैसे उधार लेकर लौटाए नहीं
कहता है जब होंगे तो दे दूंगा ,
अपने वादे से मुकर गया
आप ही फैसला करो
अगर इसे नेता कहा
तो क्या गुनाह किया
हँसमुखजी ने सोचा फिर बोले
क्योंकी रामू
धूर्त.मक्कार भ्रष्ट और दोहरे
चरित्र का नहीं है 
इसलिए इसे नेता कहना
उचित नहीं है
तुमसे पैसे उधार लिए
इमानदारी से मान रहा है
अभी होंगे नहीं
इसलिए लौटा नहीं
पा रहा है
16-12-2011
1867-35-12

No comments:

Post a Comment