वो
ऊपर बर्थ पर
लेटी थी
मैं नीचे सीट पर बैठा था
आशा से मुझे देख
रही थी
कभी कभी मुस्करा
रही थी
मेरे दिल में,कुछ होने लगा
मन ही मन खुश होने लगा
प्रेम का
आगाज़ होने लगा
तभी वो बोली
आप हंसमुख जी हैं
मैंने पूँछा
आप को कैसे पता चला
जवाब मिला
भैया,आपके रिश्ते के
मामा की बेटी हूँ
विदेश में रहती हूँ
पहली बार भारत आयी हूँ
निरंतर परिवार की
तस्वीरों में आपको देखा है
इसलिए आसानी से
पहचाना है
23-10-2010
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