Wednesday, September 7, 2011

करोड़ों खा कर भी डकार नहीं लेता हूँ

हंसमुख जी 
ने एक नेता को  
चोर कहा
नेता  नाराज़ हुआ
गुस्से से  बोला
बेइज़्ज़त्ती मत करो
चोर,डाकू मत कहो
सफ़ेद कपडे पहनता हूँ
चुनाव लड़ता हूँ
भाषण देता हूँ
पार्टी का निष्ठावान सेवक हूँ
निरंतर देश को लूटता हूँ
चोर कह कर वेदना
मत पहुँचाओ
मेरे करतबों का कम
ना  आंको
करोड़ों खा कर भी डकार
नहीं लेता हूँ
कोई टोके तो गुर्राता हूँ
निरंतर नए चोले
बदलता हूँ
कोई नया नाम दो
जब तक नहीं मिले
 तब तक नेता ही
कह दो
15-11-2010 
(विशुद्ध हास्य कविता है ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )

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