Tuesday, September 27, 2011

दो गधे आपस में गर्दन रगड़ रहे थे (हास्य कविता)

दो गधे आपस में
गर्दन रगड़ रहे थे
निरंतर पूछ हिलाने के साथ
ढेंचू ढेंचू भी कर रहे थे
हँसमुखजी ने मित्र से पूछा
गधे क्या कर रहे हैं ?
मित्र बोला गधे आपस में
गले मिल रहे हैं
खुशी के मारे पूछ हिला रहे हैं
ढेंचू ढेंचू कर सबको बता रहे हैं
हँसमुखजी बोले
इंसान ऐसा क्यों नहीं करते
मित्र बोला हे बेवकूफ
आजकल इंसान,इंसान से
खौफ खाता है
गले मिलते ही कोई गर्दन
ना काट दे
इस बात से डरता है
दुनिया को खुशी का पता
चल जाए
सौ दुश्मन और पैदा हो
जायेंगे
इस बात से घबराता है
आजकल सब हाय हैलो से
काम चलाते हें
या फिर दूर से नमस्ते
कर देते हैं 
26-09-2011
1563-134-09-11

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