287—02-11
यकीन
उनकी बात का नहीं
होता
जुबां पर कुछ दिल में
कुछ और होता
मुस्काराना खतरनाक
होता
उसके पीछे कोई राज
छुपा होता
ऊपर से सीधा साधा
अन्दर से घाघ होता
रंग इतने बदलता
गिरगिट भी शर्माता
कपडे सफ़ेद पहनता
उसका काटा पानी ना
माँगता
बातों से निरंतर लुभाता
रोज़ नया वादा करता
निरंतर उसे तोड़ता
बहाना बड़ा कारगर
बनाता
साम,दाम,दंड,भेद में
माहिर होता
शर्म से कोसों दूर
रहता
बरगलाना उसका पेशा
बरगलाना उसका पेशा
जो भी फँस जाए
शिकार उसे बनाता
भारत में उसे नेता
कहा जाता
20-02-2011
(विशुद्ध हास्य कविता है ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
(विशुद्ध हास्य कविता है ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
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