हंसमुख जी
बहुत खुश थे
रोज़ एक हसीना के
बारे में
दोस्त से चर्चा करते थे
चाल ढाल,नाक नक्श, का
चस्के ले ले वर्णन करते थे
मिल जाए तो क्या,क्या करेंगे
बेझिझक बताते थे
दोस्त से रहा ना गया
इक दिन बोला
मियाँ क्यूं परेशान रहते हो
उसका पता बताओ,बात
आगे बढ़ाओ
निरंतर बातों से
काम चलाते हो
हमारी मदद लो
इकतरफा मोहब्बत को
परवान चढाओ
हंसमुख जी बोले
घर का पता मालूम नहीं
आने जाने की सड़क
और वक़्त जानता हूँ
दोनों तय वक़्त वहाँ पहुंचे
हसीना दिखाई पडी
दोस्त की त्योरियां चढी
गुस्से में बोला
एक घर डायन भी छोडती है
इश्क के लिए तुम्हें,
मेरी बहन ही मिली
कम से कम दोस्ती का
ख्याल करो
मेरी बहन को भूल जाओ
दोस्त को दुश्मन ना बनाओ
अपने हाथ पैरों का ख्याल करो
तोडूँ उस से पहले भागने का
इंतजाम करो
09-12-2010
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