291—2-11
निरंतर
मोहब्बत करते थे
दिन रात साथ रहते थे
ज़रा मनमुटाव क्या हुआ
जान-ऐ-बवाल पैदा हुआ
अपने ही घर में मेहमान हुआ
घर से जाने का फरमान हुआ
बड़ी शिद्दत से मुझे विदा किया
लौट कर ना आऊँ
ऐसा इंतजाम किया
घर मोहल्ला बदल दिया
पता किसी को ना दिया
जिस्म को बुर्के से ढक दिया
हम भी दीवाने कम ना थे
हम भी दीवाने कम ना थे
शहर में इश्तहार उनका
लगा दिया
कई हमारा दिल खो गया
कई हमारा दिल खो गया
जिसे दिख जाए,अपना बना ले
उस में लिख दिया
वो खुद लौट कर आये
उस में लिख दिया
वो खुद लौट कर आये
फिर बोले हम से
मुझे बचा लो
मुझे बचा लो
अनजाने से जाने अच्छे
कोई नापाक निगाहों से देखे
मेरी जान का दुश्मन बने
जबरदस्ती मुझ से करे
उस से पहले निकाह कर लो
आने वाली आफत से बचा लो
20-02-2011
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