Monday, September 5, 2011

पत्नी तो पत्नी होती पती की अर्धांगिनी साले साली की बहन होती

पत्नी 
तो पत्नी होती
पती की अर्धांगिनी
साले साली की बहन
होती
शादी से पहले इच्छा
बाद में मजबूरी होती
पत्नी जब गुस्से में
होती
हिम्मत पती की जवाब
देती
देखकर मुस्काराती,
इच्छा अपनी बताती
बात ना मानों मुंह
फिराती
लाख मनाओ नहीं
मानती
कहाँ गए थे,हिसाब
लेती
कब आओगे निरंतर
पूछती
खाना बनाती,खाने को
देती
नाराज़ हो तो भूखे
सुलाती
गृह कक्ष्मी कहलाती
रूप चंडी का भी
दिखाती
बच्चों को वो
पालती
हिम्मत भी वो ही
दिलाती
विपत्ति में साथ खड़ी
होती
घर वो ही चलाती
मायके में शेर होती
बुराई मायके की कभी
ना सुनती
भाई,बहन प्यारे लगते
देवर,नन्द मुश्किल से
भाते
बिना पत्नी गृहस्थी
मुश्किल से चलती
पती को नानी, याद
दिलाती
बिन पत्नी घर सूना
लगता
उसके बगैर मन नहीं
मानता
हर पती इस बात को
जानता
इस कारण चुपचाप
सहता
दिन आज का शांती से
गुजरे  
प्रार्थना भगवान् से
रोज़ करता
18-01-2011

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