Wednesday, September 28, 2011

हँसमुखजी को गंजा कर दिया (हास्य कविता)

तीस की
उम्र में हँसमुखजी के
बाल सफ़ेद हो गए
एक दिन अपने दोस्त के
घर पहुँच गए
दोस्त की बहन ने
बहुत दिन बाद
उन्हें देखा तो
पहचाना नहीं
देखते ही कहा दादाजी
भैया घर के बाहर गए हैं
हँसमुखजी शरमा गए
फ़ौरन सैलून जा कर
बाल काले करवा लिए
तीन चार दिन बाद
फिर दोस्त के घर गए
दोस्त की
बहन ने दरवाज़ा खोला
चिल्ला कर भाई को
आवाज़ लगायी भैया ,
परसों दादाजी मिलने आये थे
आज पोता मिलने आया है
हँसमुखजी मुंह छिपा कर
दोस्त के आने से पहले ही
फिर सैलून चल दिए
सौन्दर्य विशेषग्य को
अपना दुःख बताया
उसने आधे बाल काले
आधे सफ़ेद कर दिए
हफ्ते भर बाद
हिम्मत कर,डरते डरते ,
भगवान् से प्रार्थना करते हुए
आज बहन नहीं मिले
तडके दोस्त के घर पहुँच गए
बहन स्कूल जाने के लिए
दरवाज़े पर खड़ी मिली
उनको देखते ही
फिर जोर से आवाज़ लगायी
भैया पहले दादाजी आये थे
फिर पोता आया था
आज बेटा आया है
हँसमुखजी ने सर पीट लिया
सैलून के बाहर जाकर बैठ गए
सैलून खुलते ही मालिक से बोले
मुझे बचालो
कुछ ऐसा करो दोस्त की बहन
मुझे हँसमुखजी ही समझे ,
दादा बेटे पोते से मुक्ती दिला दो
मालिक ने कहा आज
पक्का इंतजाम कर देता हूँ
कह कर हँसमुखजी को
गंजा कर दिया
पांच दिन बाद हँसमुखजी
फिर दोस्त के घर पहुंचे
आज बहन नज़र नहीं आयी
,चेहरे पर मुस्कान आयी,
फ़ौरन घंटी बजायी
तो फिर बहन बाहर आयी
आते ही घबराहट में
जोर से चिल्लायी
भैया दादाजी,
बेटा और पोता मर गए
रोती हुयी सूरत लिए उनका
कोई रिश्तेदार आया है
आज जाने नहीं दूंगी
,निरंतर खानदान का
कोई ना कोई आदमी
घर आता है,
आपके आने से पहले ही
भाग जाता है
घर पहुँचते ही मर जाता है
फिर लौट कर
खानदान का कोई
दूसरा आदमी आता है
अब खानदान के किसी
आदमी को
आपसे मिलने से पहले
मरने नहीं दूंगी
यह कहते हुए
उसने हँसमुखजी को
क़स कर पकड़ लिया
लाख कोशिशों के बाद भी
भागने नहीं दिया
29-09-2011
1581-152-,09-11

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