हंसमुख जी ने तोता मैना के किस्से सुने थे
इनसे बहुत प्रभावित थे,उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत थे
वे तोता थे,मैना ढूंढ रहे थे,
उम्र हो गयी,मैना दूर थी
पर तन्मयता से लगे हुए थे
मैना के चक्कर में,खुद को भूल गए थे
हर फॉर्मुला आजमां रहे थे
बाल काले करने लगे,नियमित सैलून जाने लगे
कोलेज के रास्ते में खड़े हो,
फिल्मों के नए गाने गुनगुना लगे
मैना नहीं मिलनी थी,सो नहीं मिली,
एक दिन आशा की किरण नज़र आयी
एक मोहतरमा ने नज़र मिलाई,
इशारे से उनको बुलाया
कागज़ पर घर का पता दिया,
आने का निमंत्रण दिया
ख़ुशी का ठिकाना न था,
बन ठन कर तय वक़्त से पहले ही चल पड़े,
कपड़ों पर इत्र,हाथ में गुलदस्ता था
मिलने की जल्दी थी,
वक़्त से घंटा भर पहले ही पहुँच गए
घंटी बजायी,
अम्मा की उम्र की मोहतरमा बाहर आयी
बोली अरे तुम आ गए!,
मोहतरमा की बात सुन,उनके होश उड़ गए,
शक्ल सूरत देख,मोहब्बत के महल ढह गए,
उलटे पैर भागे,मैना को भूल गए
घर पहुँच कसम खाई,
अब कभी किस्सों के चक्कर में नहीं पड़ेंगे
किस्से तो किस्से होते हैं,सच्चे नहीं होते हैं,
क्यों मैना के चक्कर में उम्र गवाईं,
निरंतर झूंठी आस में,जीवन भर हंसी उडवाई
हकीकत को जानना चाहिए था,
अपनी अक्ल और शक्ल को,पहचानना चाहिए था
किस्से झूंठे होते हैं,ये प्रचार करते हैं
मैना का नाम अगर भूले से भी कोई ले ले,
तो गालियों की बौछार करते हैं
24-09-2010
(हंसमुख जी से क्षमा याचना सहित)
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