Monday, September 5, 2011

पत्नी को तलाक दे दो,मुझ से ब्याह रचवा दो


हंसमुख जी
बड़े भोले,क्रोध से दूर
सब्र का पैमाना हैं
कौवा सर पर बीट करदे
कोई गली में कचरा
उन पर डाल दे
गलती से उन पर थूंक दे
गाडी से टक्कर मार दे
या भद्दी सी गाली दे 
हर हादसे पर कहते
छोडो जाने दो
फिर ऐसा ना करना
एक मनचले को आदत का
पता था
निरंतर छेड़ता था
एक दिन  बोला
पत्नी को तलाक दे दो
मुझ से ब्याह रचवा दो
हंसमुख जी ने संजीदगी से
जवाब दिया
हर बार तुम्हें छोड़ा
इस बार नहीं छोडूंगा
बड़ी मुश्किल से मौक़ा मिला
हाथ से नहीं जाने दूंगा
अब लिख कर दे दो,
पांच गवाह भी बुलवा लो
पीछे नहीं हटूंगा
तलाक के बाद
हर हाल में ब्याह रचाना
होगा
ज़िन्दगी भर चुपचाप सहना
होगा
मेरी खुशी में खुश होना
होगा
 दावत  में शामिल होना
होगा
24-01-2011

No comments:

Post a Comment