हंसमुखजी
अध्यापक थे
निरंतर शाम को टहलते थे
आज भी मित्र के साथ
टहल रहे थे
हर विषय पर चर्चा
कर रहे थे
सुन्दर सपने देख
रहे थे
तभी मित्र बोला
अगर आप के पास
अम्बानी जितना पैसा हो
तो आप भी बड़े आदमी
बन जाओगे
क्या फिर मित्रों से मिलोगे
हंसमुख जी ने दिमाग दौडाया
फिर मित्र पर कटाक्ष किया
तुम मूर्ख ही रहोगे
अरे भले मानस
मैं अम्बानी से भी बड़ा
हो जाऊंगा
उस से ज्यादा कमाऊंगा
दो ट्यूशन भी तो
करूंगा
02-11-2010
(यह एक विशुद्ध हास्य रचना है
व्यक्तिगत पेशे पर टिप्पणी व किसी की भावनाओं को
आहत करना इस का उद्देश्य नहीं है,
समस्त अध्यापकों से क्षमा याचना सहित)
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