हंसमुख जी
सख्त बीमार थे
मौत के कगार पर थे
कुछ दिनों के मेहमान थे
ना खा सकते थे,ना चल सकते थे
दवाइयों पर ज़िंदा थे
एक दिन बेटे से बोले
अंतिम इच्छा पूरी कर दे
पहनने को नया सूट सिलवा दे
खाने को कलाकंद मंगवा दे
बेटे को समझ नहीं आया,बोला
अंतिम समय में
सब भगवान् का नाम लेते हैं
आप भी ऐसा ही करो
अपना परलोक सुधारों
हंसमुख जी बोले,भगवान् से मिल लूंगा
उस को मना लूंगा,परलोक सुधार लूंगा
पर परलोक में,सूट कहाँ सिलवाऊँगा
कलाकंद कहाँ खाऊंगा
अब समय व्यर्थ मत करो
जल्दी से अंतिम इच्छा
पूरी करो
25-10-2010
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