Wednesday, September 7, 2011

हम कॉमन वेल्थ खेल करा रहे हैं


हम कॉमन  वेल्थ खेल करा रहे हैं

अन कॉमन तरीके से,,कॉमन खेल करा रहे हैं

दासता की यादों को ताज़ा करा रहे हैं

खेल बाद में होंगे,हम पहले से खेल रहे हैं
पैसे से सब जेब भर रहे हैं

आयोजक सरकार से,
सरकार जनता से,

मीडिया देखने वालों से,
सब आपस में खेल रहे हैं

खिलाडियों से ज्यादा,
अधिकारी खेल रहे हैं

महंगाई बढ़ रही है,
बाढ़ आ रही है

दुश्मन की नज़रें,
देश की तरफ बढ़  रही है

हमको क्या? हम आयोजन में व्यस्त हैं
जनता चाहे त्रस्त है, हम तो मस्त हैं,

जनता की जान जाये तो जाये
हमें तो देश की शान बढानी है
दुनिया को तरक्की जो बतानी है

जनता को आदत है,
पहले  सहा है फिर सह लेगी
निरंतर भूली है फिर भूलेगी

देश की इज्ज़त के नाम पर,
पैसे की बर्बादी चलती रहेगी

भूखी जनता भूखी ही रहेगी
हमेशा की तरह सोती रहेगी

22-09-2010

No comments:

Post a Comment