Sunday, September 4, 2011

हंसमुखजी ने विवाह की पचासवीं वर्षगाँठ मनायी

हंसमुखजी ने
विवाह की पचासवीं
वर्षगाँठ मनायी
 लोगों ने उनकी हिम्मत पर 
आश्चर्य से 
दांतों तले ऊंगली दबायी
धीरे से मन की जिज्ञासा
हंस मुखजी को बतायी
कैसे सफलता पायी ?
  कैसे इतने साल निभायी ?
हमें भी बताओ
मन की जिज्ञासा मिटाओ
नयी पीढी को भी
रास्ता दिखाओ
हंसमुखजी हँसे फिर बोले
बहुत आसानी से निभायी
वो हंसी,मैं हंसा
वो रोयी,मैं रोया
उसने धोया,मैं धुला
उसने लगायी,मैंने खायी
उसने कहा,मैंने सुना
वो रूठी,मैंने मनाया
वो आगे आगे,मैं पीछे पीछे
ना क्रोध किया,
ना विरोध किया
जो माँगा वो दिया
हर स्थिती को
सहर्ष स्वीकार किया
निरंतर
उसकी हाँ में हाँ मिलायी
तब जा कर पचासवी
वर्षगाँठ मनायी
अब आदत हो गयी
इस लिए सौंवी  भी
मनायी जायेगी
20-06-2011
1077-104-06-11

No comments:

Post a Comment