सर्दी के दिन थे,हंसमुख जी
बगीचे में बैठे,धूप सेक रहे थे
तभी घंटी बजी, पड़ोस के
बाबू भाई की आवाज़ सुनाई दी
अन्दर आते ही बोले
मुझे आप से शिकायत है
समझ नहीं आती हैं,फिर भी
निरंतर आप की लिखी हुई
सारी कवितायें पड़ता हूँ
आपने आज तक,अच्छे पड़ोसी पर
कोई कविता नहीं लिखी
हंसमुख जी बोले,
जब समझ नहीं आती है
तो क्यों पड़ते हो ?
जवाब आया,
आप बिना समझे,लिख सकते हैं
मैं बिना समझे
पढ़ क्यों नहीं सकता?
04-10-2010
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