रोज़ की तरह वो,आज भी टहल रहे थे
इधर उधर देख रहे थे,शायद कोई पहचान ले
इशारे से घर बुला ले,भर पेट नाश्ता करा दे
इसी इच्छा में,अनिच्छा से आगे बढ़ गए
तभी उन्हें एक कुत्ता नज़र आया
पूछने पर उसने,अपने को,
उनके मोहल्ले का ही बताया
वे खुश होकर,मन ही मन मुस्कराए
तभी उनका घर आ गया
टहलने का वक़्त पूरा हुआ
वो अन्दर चले गए
रोज़ की तरह काम में,लीन हो गए
कल फिर सवेरा होगा,रोज़ की तरह निरंतर
फिर टहलने जायेंगे,इधर उधर देखेंगे
शायद आज कोई जानने वाला,मिल जाएगा
जो इशारे से बुलाएगा
कम से कम आज तो
भर पेट नाश्ता कराएगा
12-09-2010
इधर उधर देख रहे थे,शायद कोई पहचान ले
इशारे से घर बुला ले,भर पेट नाश्ता करा दे
इसी इच्छा में,अनिच्छा से आगे बढ़ गए
तभी उन्हें एक कुत्ता नज़र आया
पूछने पर उसने,अपने को,
उनके मोहल्ले का ही बताया
वे खुश होकर,मन ही मन मुस्कराए
तभी उनका घर आ गया
टहलने का वक़्त पूरा हुआ
वो अन्दर चले गए
रोज़ की तरह काम में,लीन हो गए
कल फिर सवेरा होगा,रोज़ की तरह निरंतर
फिर टहलने जायेंगे,इधर उधर देखेंगे
शायद आज कोई जानने वाला,मिल जाएगा
जो इशारे से बुलाएगा
कम से कम आज तो
भर पेट नाश्ता कराएगा
12-09-2010
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