Wednesday, September 21, 2011

हँसमुखजी बोले मुझे गड़बड़ लग रही है ,मेरी टांगें आपस में लड़ रही हैं (हास्य कविता)

हँसमुखजी ने
दर्जी से नया पायजामा
सिलवाया
पत्नी ने जवाब में
पेटीकोट सिलवा लिया
घर पहुँच कर दोनों ने
अपना अपना कपड़ा
खूंटी पर टांग दिया
पहनने का वक़्त आया
बत्ती ने धोखा दिया
अँधेरे में एक ने
पायजामा
दूसरे ने पेटीकोट
पहन लिया
पांच मिनिट बाद
हँसमुखजी बोले
मुझे गड़बड़ लग रही है
मेरी टांगें
आपस में लड़ रही हैं
पत्नी भी चुप कहाँ रहती
वो भी कहने लगी
तुम्हारे कहने के बाद
मुझे भी गड़बड़ लग रही
मेरी टांगें
निरंतर लडती थी
आज वो भी नहीं
लड़ रही
बात हँसमुखजी के
तुरंत समझ में आयी
झट से बोले भागवान
गड़बड़
हम दोनों से हो गयी
तुमने पहन लिया
पायजामा
और मैंने पेटीकोट
टांगें तो लडनी ही थी
गलती हमारी नहीं 
बिजली वालों की थी
21-09-2011
1532-103-09-11

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