क्रांतिकारी विचारों के
देशभक्त हँसमुखजी
पड़ोस में रहने वाले
घाघ और भ्रष्ट नेता के
कार्यकलापों से दुखी थे
ऐसे नेताओं से देश को
मुक्त करना चाहते थे
अपनी व्यथा का ज़िक्र
उन्होंने अपने मित्र
तिकडमी लाल को करा
उसने फ़ौरन
उन्हें एक समाधान सुझाया
एक मनहूस कुत्ते के
बारे में बताया
जो जिस घर भी रहता
उस घर का
मालिक जीवित नहीं रहता
हँसमुखजी को
विचार पसंद आया
कुत्ते को मुंहमांगे दामों पर
स्वर्गवासी मालिक के बेटे से
खरीद लिया
रात में चुपके से नेताजी के
घर के पिछवाड़े में बाँध दिया
हँसमुखजी रात भर जागते रहे
शुभ समाचार का
इंतज़ार करने लगे
सवेरा हुआ
हँसमुखजी का सपना टूट गया
अरमानों पर घड़ों पानी पड़ गया
रात में नेताजी की पत्नी ने
एक बालक को जन्म दिया
कुत्ते का निधन हो गया
मनहूस समझे जाने वाला कुत्ता
अपने से बड़े मनहूस की
मनहूसियत का शिकार हो गया
आजकल
हँसमुखजी वहां नहीं रहते हैं
दूर पहाड़ों में एकांत वास करते हैं
नेताओं के कार्यकलापों को
जानने का कोई साधन नहीं है
06-09-2011
1458-30-09-11
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