उसका मेरा आने जाने का वक़्त एक था
रास्ता एक था,बस और बस स्टॉप एक था
कहाँ से आती जाती थी,पता ना था
साथ आते जाते मन में कुछ होने लगा
दिन रात ध्यान उसका आने लगा
हकीकत में उसको चाहने लगा
नहीं दिखने पर बेचैन रहने लगा
देर होने पर इंतज़ार करने लगा
किस तरह पास बैठूं ये सोचने लगा
बात आगे बढे ये कोशिश करने लगा
मुस्कराहटों का आदान प्रदान होने लगा
हाय हलो होने लगी,बात आगे बढ़ने लगी
कहाँ से आती हो?कहाँ जाती हो?
एक दिन हिम्मत कर पूँछ लिया
जवाब मिला,नौकरी के बहाने,
प्रेमियों से मिलने जाती हूँ
पैसे कमा के लाती हूँ
लौट कर पति के घर आती हूँ
लौट कर पति के घर आती हूँ
आपकी शक्ल मेरे मृत बड़े भाई से मिलती है
आपको देख निरंतर उनकी याद आती है
इसलिए इस बस से आती हूँ,
इस बस से जाती हूँ
27-09-2010
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