Sunday, September 25, 2011

हँसमुखजी ने प्रेमिका से कहा ,शाम को बगीचे में आ जाना (हास्य कविता)

हँसमुखजी ने
प्रेमिका से कहा
शाम को बगीचे में
आ जाना
खूब बातें करेंगे
गुलछर्रे उड़ायेंगे
प्रेमिका बोली
मेरा बाप बगीचे का
चौकीदार  है
उनका लट्ठ निरंतर 
तैयार है
बहुत दिनों से
किसी पर पडा नहीं
इसलिए बेकरार है
पहले तुम्हारी टांगें
तोड़ेंगे
फिर चमड़ी उधेड़ेंगे
उठा कर पास के
 कब्रिस्तान में ड़ाल देंगे
मेरी भी बारह बजेगी
घर पहुँचते ही
पिटाई होगी
फिर भी
मन नहीं माने तो
बगीचे में पहुँच जाना
एम्बुलेंस साथ ले जाना
बगीचे से सीधे
अस्पताल पहुँच जाना
बाकी उम्र लूले लंगड़े
काट लेना
इश्क का भूत फिर भी
नहीं उतरे तो मेरे बाप की
फोटो कमरे में टांग देना
इश्क की इच्छा तो दूर
नाम से भी नफरत
हो जायेगी
कोई इश्क की बात भी करे
तो मेरे बाप की फोटो
दिखा देना
सारा किस्सा सच सच
बता देना 
25-09-2011
1553-124-09-11

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