Saturday, September 3, 2011

डस्टर और मास्टर में फर्क(हास्य कविता)

हंसमुखजी बचपन में
शैतान प्रवत्ति के थे
किसी को भी नहीं छोड़ते
निरंतर
किसी ना किसी को छेड़ते
एक दिन क्लास में
मास्टरजी से पंगा ले लिया
डस्टर और मास्टर में
फर्क पूंछ लिया
मास्टर जी भन्ना गए
फ़ौरन हंसमुखजी के
पास पहुंचे
एक जोर का थप्पड़
कान के नीचे बजाया
और क्रोध से बोले
डस्टर बोर्ड की गंदगी
साफ़ करता
मास्टर का थप्पड़
दिमाग की शैतानी
ठीक करता
हंसमुखजी को
दिन में तारे दिख गए
सारी शैतानी भूल गए
अब शैतानी मन में
सूझती है
मास्टरजी की सूरत
दिखने लगती है
शैतानी फ़ौरन गायब
हो जाती है
28-07-2011
1252-136 -07-11

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