हंसमुख जी खुश थे,
बेटे को सरकारी नौकरी मिल गयी
जीवन की तमन्ना पूरी हो गयी,
उनकी जिन्दगी भी सरकारी सेवा में कटी
बड़े आराम की नौकरी है
ज्यादा तनखा और काम कम होता ,
आना जाना अक्सर अपने हाथ होता
बीमारी में इलाज मुफ्त होता ,
हर पांच दिन बाद इतवार होता था
हर त्यौहार पर अवकाश होता था ,
एल टी से में मुफ्त में घूमना होता
कहीं,कहीं सरकारी मकान भी मिलता ,
महंगाई के साथ डी ऐ बढ़ता
कभी कभी हड़ताल में आराम भी मिलता ,
रीटायर होने पर पेंशन का प्रावधान होता
वक़्त से पहले मरने पर औलाद को,
नौकरी का अवसर मिलता
सुविधा शुल्क भरपूर मिलता
इतनी सुविधा और सम्मान कहाँ मिलेगा,
निरंतर सरकारी नौकरी मिले,
इस से बढ़िया भाग्य कहाँ मिलेगा
23-09-2010
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