Sunday, September 4, 2011

शादी के बाद पिटते इसलिए पहले ही पीट रही हूँ (हास्य कविता)

हंसमुखजी का
पहलवान सी कन्या से
टांका भिड़ा
मोहब्बत में बहक कर
उन्होंने कन्या को तोहफा भेजा
कन्या ने पैकट खोला
लाल और सफ़ेद साडी का
जोड़ा निकला
कन्या को लाल,सफ़ेद रंग का
चक्कर समझ नहीं आया
फौरन हंसमुखजी को जा पकड़ा
लाल और सफ़ेद साडी का राज़ पूछा
हंसमुख जी बोले
मैं कल का काम आज करने में
विश्वास रखता हूँ
लाल रंग की साडी शादी के लिए
सफ़ेद रंग की विधवा होने पर
पहनने के लिए भेजी है
प्रेमिका का पारा चढ़ गया
लात घूसों से हंसमुख जी का
स्वागत किया
मार मार कर हाल
बेहाल कर दिया
मैं भी कल का काम
आज करती हूँ
शादी के बाद पिटते
इसलिए पहले ही
पीट रही हूँ
11-08-2011
1335-57-08-11

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