हलकी हलकी ठण्ड थी
पिता छींक रहे थे,नाक सुड़क रहे
दादा कोने में बैठे अखबार पढ़ रहे थे
नज़रें उठाई,डांट लगाईं और बोले
स्वास्थ्य का ध्यान रखो,
इतनी उम्र हो गयी,समझते नहीं हो
गर्म कपड़े पहना करो,रोज़ आंवला खाया करो
मैंने सर झुकाया,अन्दर चला गया,
गर्म कपडे पहन,आंवला खा कर,बाहर आया,
सामने बेटे को खडा पाया
वो भी जुखाम में,नाक सुड़क रहा था
मैंने उसे भी वही कहा,जो मेरे पिता ने कहा
स्वास्थ्य का ध्यान रखो,
गर्म कपड़े पहना करो,रोज़ आंवला खाया करो
पुत्र बोला,मुझको सब पता है
क्या खाना क्या पहनना,सब जानता हूँ
रोज़ नसीहत मत दिया करो
पैसे चाहिए,केवल उसकी बात करो
निरंतर यही होता था,
इधर बाप,उधर बेटा धमकाता था
५० की उम्र के लोगो का यही हाल है
ऊपर भी हिटलर नीचे भी हिटलर है
(सारे पिता और पुत्रों को, बिना किसी दुर्भाव के क्षमा याचना सहित, समर्पित. पिता और पुत्र दिल से नहीं लगायें . इस हास्य रचना का वास्तविकता से सम्बन्ध है या नहीं, इस का निर्णय मैं पाठकों पर छोड़ता हूँ )
दादा कोने में बैठे अखबार पढ़ रहे थे
नज़रें उठाई,डांट लगाईं और बोले
स्वास्थ्य का ध्यान रखो,
इतनी उम्र हो गयी,समझते नहीं हो
गर्म कपड़े पहना करो,रोज़ आंवला खाया करो
मैंने सर झुकाया,अन्दर चला गया,
गर्म कपडे पहन,आंवला खा कर,बाहर आया,
सामने बेटे को खडा पाया
वो भी जुखाम में,नाक सुड़क रहा था
मैंने उसे भी वही कहा,जो मेरे पिता ने कहा
स्वास्थ्य का ध्यान रखो,
गर्म कपड़े पहना करो,रोज़ आंवला खाया करो
पुत्र बोला,मुझको सब पता है
क्या खाना क्या पहनना,सब जानता हूँ
रोज़ नसीहत मत दिया करो
पैसे चाहिए,केवल उसकी बात करो
निरंतर यही होता था,
इधर बाप,उधर बेटा धमकाता था
५० की उम्र के लोगो का यही हाल है
ऊपर भी हिटलर नीचे भी हिटलर है
(सारे पिता और पुत्रों को, बिना किसी दुर्भाव के क्षमा याचना सहित, समर्पित. पिता और पुत्र दिल से नहीं लगायें . इस हास्य रचना का वास्तविकता से सम्बन्ध है या नहीं, इस का निर्णय मैं पाठकों पर छोड़ता हूँ )
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