Sunday, September 4, 2011

नाम हंसमुख था इसलिए दिखाने को, हँसते थे

हंसमुख जी
कारखाने में काम करते थे
एक दिन अपनी लैला से बोले
ज़िन्दगी भर उस के लिए जियेगें
उस के लिए मरेंगे,साथ उसका देंगे
काम उसका करेंगे,रोज़ उसको देखेंगे
हुक्म उसका मानेंगे,उसकी हर बात सुनेंगे
किस्मत को मंजूर ना था
हालात ने पलटा खाया
जुदा  दोनों को किया
लैला ने कारखाने के,मालिक से ब्याह रचाया
अब लैला मालकिन थी,हंसमुख जी मुलाजिम थे
रोज़ लैला को देखते थे
वो बोलती थी,वे सुनते थे
काम उसका ही करते थे
हुक्म भी मानते थे,साथ भी  दे रहे थे
वादा निभा रहे थे
निरंतर उसके लिए जी रहे थे
अन्दर से रोते थे ,नाम हंसमुख था
इसलिए दिखाने को,
हँसते थे
10-10-2010

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