Sunday, September 4, 2011

मेरे वक़्त की सारी हसीनाएँ अम्मा हो गयी

मोहब्बत की
इब्तिदा कहाँ से करूँ ?
इल्तजा उनसे कैसे करूँ ?
इस झिझक में उम्र
गुज़र गयी
मेरे वक़्त की सारी
हसीनाएँ अम्मा हो गयी
मेरी उम्र भी
अब दादा की हो गयी
अब भी 
निरंतर कोशिश में
रहता हूँ
कोई बासी फूल
पहल कर दे
खुद आगे बढ़ कर
हाँ कर दे
मेरी झिझक कम
कर दे
दूल्हा बना कर 
घोडी पे बिठा दे  
खुद अपनी 
मांग भी भर ले
मेरे ख्वाइश 
भी पूरी कर दे
26-05-2011
936-143-05-11

(इब्तिदा=शुरुआत,प्रारंभ) 

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